संवाददाता
लेस्लीगंज,पलामू- बीते दिनों लेस्लीगंज के कुन्दरी वनक्षेत्र के पूर्णाडीह के टोला चिरैया टांड में बड़े पैमाने पर काट कर रखा खैर की लकड़ी पकडा गया था।उस मामले में कुन्दरी वनक्षेत्र के रेंजर उमेश दुबे ने पूछे जाने पर बताया कि एक व्यक्ति पर मामला दर्ज कर जांच किया जा रहा है। गोपनीयता का हवाला देते हुए आगे कुछ भी बताने से इंकार कर दिए।सवाल उठता है कि प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर जहां सभी वनक्षेत्र के उच्चाधिकारियों के रहते और बगल में लेस्लीगंज थाना और कुन्दरी वनक्षेत्र के कर्मचारी पदाधिकारी के रहते दिन के उजाले में बेशकीमती खैर पेड़ की कटाई कैसे संभव हुआ,वह भी दूर दराज के जंगल नही बल्कि डालटनगंज पांकी मुख्यसडक के बगल में,और इन पदाधिकारियों को भनक तक नही लगा।
भला हो ग्रामीण को जिन्होंने इसकी सूचना थाने सहित वन विभाग को दिया। ग्रामीण बताते है कि सूचना देने के बाद भी उच्चाधिकारियों का काफी विलंब से आना सवाल खड़ा करता है।
जानकारों की मानें तो खैर की लकड़ी से उसके वजन के 3 से 10%तक कत्था निकलता है यह लकड़ी पर निर्भर है कि लकड़ी कितना पुराना और हार्ड है। लकड़ी बाजार में खैर की लकड़ी का बाजार मूल्य अलग अलग बाज़ारों में अलग अलग है। औसतन मूल्य 80,000 हज़ार रुपये टन से अधिक है तो कहीं 35 हज़ार रु क्यूबिक मीटर है।इस तरह सिर्फ पकड़ा गया लकड़ी जो 10 से 12 ट्रैक्टर बताया गया है उसी का बाजार मूल्य करोड़ रुपये पार है। अब सवाल उठता है कि वनों की सुरक्षा हेतु तैनात कर्मचारी पदाधिकारी वनों की सुरक्षा करते है या ये लोग ही वनों के विनास में संलिप्त है।यह सरकार और यहां के लोग ही तय करें।